Biography of Chanakya in Hindi

चाणक्य एक भारतीय दार्शनिक, अध्यात्मिक विचारक, शिक्षक, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। इन्होंने अखंड भारत का निर्माण करवाया। और चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री भी थे।

जन्म:

चाणक्य का जन्म 375 ईसा पूर्व में तक्षशिला के कुटिल नामक एक ब्राह्मण वंश में हुआ था। लेकिन इनके जन्म, नाम और मृत्यु के पीछे मतभेद है। फिर भी इन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त मौर्य के नाम से भी जानते है। यहाँ तक की इन्हें बुद्धि के भगवन कहा जाता है।

चाणक्य का जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इसके चल के बचपन इन्होंने काफी गरीबी देखी। चाणक्य बचपन से क्रोधी और जिद्दी स्वभाव के थे। इन्होंने तक्षशिला से ही शिक्षा ग्रहण की। ये शुरू से पढ़ाई में तेज थे, बाद में चलकर ये तक्षशिला के प्रधानाचार्य में बने। नालंदा के विश्वविद्यालय में ये एक प्रोफेसर भी थे।

महान लक्ष्य:

उन्हीं दिनों में सिकंदर पूरी दुनिया को जीत कर भारत के ओर बढ़ रहा था। वह सोने की चिड़िया को लुटने के लिए आक्रमण पर आक्रमण कर रहा था। चाणक्य के मन में एक ही सपना था क्यों ना अखंड भारत का निर्माण किया जाए।

और एक शक्तिशाली राजा खड़ा किया जाए ताकि सिकंदर भारत में घुस नहीं पाए। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग राजा से मिलना शुरू किया। क्योंकि ये राजाओं से मिलकर अखंड भारत का निर्माण और शक्तिशाली राजा लाना चाहते थे।

घटना:

लेकिन उस समय मगध साम्राज्य सबसे बड़ा साम्राज्य हुआ करता था नंद वंश । और नंद वंश का सबसे बड़ा राजा धनानंद के पास गए और कहा क्यों ना सिकंदर के खिलाफ तैयारी करें।

लेकिन उस समय धनानंद व्यक्त था। धनानंद प्रजा से Tax (कर) वसूलता था और जुआ, नशे, स्त्री में खर्च करता था। चाणक्य ने धनानंद को समझाया की राजा का कर्तव्य है कि समाज (प्रजा) से Tax (कर) ले, और उसे समाज की सेवा में लगा दे। धनानंद को इस बात पर गुस्सा आया और कहा

हे पंडित और अपनी चोटी का ध्यान रखो, युद्ध करना राजा का काम है तुम पंडित हो सिर्फ पंडिताई करो, मुझे राज पाठ ना सीखावो”

जब चाणक्य ने इन्हें अखंड भारत के बारे में समझाया तो धनानंद ने चाणक्य को लात की मारी। नीचे गिरने पर चाणक्य की शिखा खुल गई और उसी समय चाणक्य ने क्रोधित होकर प्रतिज्ञा की

जब तक में नंदों का नाश न कर लूँगा, तब तक मैं अपनी शिखा नहीं बंधूँगा”

चाणक्य और चन्द्रगुप्त:

अब चाणक्य को समझ में आ गया कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। चाणक्य ने गाँव का छोटा सा बालक के लिए अपना जीवन समर्थित किया। इस बालक का नाम चंदू था, इसको चाणक्य ने शिक्षा व training दी। इसी तरीके से चाणक्य चन्द्रगुप्त को सिखाते, और चन्द्रगुप्त इनकी बाते मानते चले गए। इसके बाद इन्होंने छोटे-छोटे आक्रमण करने शुरू किए।

नंद साम्राज्य का पतन और मौर्य साम्राज्य की स्थापना:

चन्द्रगुप्त काफी ज्यादा शक्तिशाली हो चूका था। इसके बाद नंद साम्राज्य आक्रमण करके धनानंद को मार दिया। और चन्द्रगुप्त को मौर्य साम्राज्य को स्थापित करके राजा बना दिया गया। चन्द्रगुप्त मौर्य नाम में मौर्य नाम इसलिए पड़ा क्योंकि मौर्या नाम चन्द्रगुप्त के माता का नाम था।

अखंड भारत का निर्माण:

नंद साम्राज्य को समाप्त करके अब सिकंदर के खिलाफ तैयारी शुरू की। चन्द्रगुप्त ने सिकंदर को बुरी तरह से हराया, इसे सिकंदर ने जल्दी हार मान ली। सिकंदर पूरी दुनिया में कब्ज़ा कर पाया लेकिन भारत में सिकंदर घुस नहीं पाया। इसके बाद सिकंदर को अपना कुछ हिस्सा भी देना पड़ा। जिसके कारण अखंड भारत का विस्तार ओर भी बड़ा हुआ।

चाणक्य नीति:

चाणक्य नीति के कारण कई साम्राज्य स्थापित हुए। चाणक्य नीति एक इस तरह से है जैसे की भगवद् गीता है। चाणक्य नीति से आप अपने बुद्धि का मानसिक विकास कर सकते है। इसमें 17 अध्याय है, ये किताब आप amazon से भी खरीद सकते है।