Atal Bihari Vajpayee in Hindi


भारत की राजनीति में आज भी श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का नाम समान से लिया जाता है। चाहे वो विपक्ष या कोई भी पार्टी क्यों ना हो। ये पहले प्रधानमंत्री थे जो गैर-कांग्रेस की पार्टी से पांच साल पूरे किए। इनसे पहले सरकारे आई और चली गई। ये भारत के दसवें प्रधानमंत्री बने थे। अभी तक के सबसे अच्छे लोकप्रिय प्रधानमंत्री जिन्हें 2015 में भारत रतन से  सम्मानित किया गया।

जन्म व शिक्षा

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 (ग्वालियर), मध्य प्रदेश में हुआ। इनके पता का नाम कृष्णा बिहारी वाजपेयी था। इन्होंने B.A. की पढ़ाई Victoria College से की थी। और बाद में M.A. करने ले लिए ये DAV College, Kanpur, गए। 1942 में ये भारत छोड़ो आंदोलन में जुड़े थे और इन्हें 23 दिन जेल भी जाना पड़ा।

राजनीति जीवन

आजादी के बाद इनका जीवन राजनीति में चलेगा। ये देश प्रेम और राजनीति में काफी रूचि रखते थे। ये कहते थे कि

मैं आपकी गलतियों का विरोध करना नहीं छोड़ूँगा,

लेकिन आपको अपनी गलतियों के विरोध करने के अधिकार को भी छोड़ने नहीं दुंगा।”

अटल बिहारी वाजपेयी speech देने में बहुत अच्छे थे। जब उन्होंने लोकसभा में speech देते थे, तो नेहरू जी ने उसी समय में कह दिया था कि ये व्यक्ति आगे चलकर देश का प्रधानमंत्री बनेगा।”

ये बात है 1971 की, जब Indira Gandhi देश की प्रधानमंत्री थी। इंदिरा गाँधी की सरकार ने उस समय में गरीबी हटाने की बात की। लेकिन उस समय पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिम पाकिस्तान के आपस में झगड़े चल रहे थे। जिसमें भारत बीच में फंस गया था। पूर्वी पाकिस्तान से लाखों लोग भारत में घुस रहे थे। जिसे भारत की कठिनाई ओर भी बढ़ रही थी। विपक्ष उस समय इंदिरा गाँधी को बोल सकता था कहाँ बंगला देश के झगड़े में लग गए। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा – जब देश की बात है तो सभी विपक्ष चुप रहे, और हम सब आपको support करेंगे। तभी पूर्वी पाकिस्तान को खत्म करके नया देश बनाया जिसका नाम बंगला देश पड़ा। ये ऐसे नेता नहीं थे जैसे आज कल के नेता है कि Surgical Strike का proof दिखाओ।

BJP का गठन

ये सब को साथ लेकर चलते थे। जब इन्होंने BJP(NDA) की स्थापना की थी तो इन्होंने 24 पार्टियों को साथ में लिया और एक कर के BJP बनाई।

ये 1994 की बात है जब कश्मीर मुदा को लेकर पाकिस्तान चिला रहा था। तो उस समय पी. वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे। तो ये परेशान थे कि इनको कौन समझेगा, और किसको वहां कौन जाएगा। तब अटल बिहारी वाजपेयी कहा गया कि तुम जाकर उन्हें समझो।

शत्रु ऐसा कि अपने मित्र से ज्यादा विश्वास शत्रु पर कर सके।

अटल जी अपने भाषण से किसी का भी मन मोहित कर लेते थे। पाकिस्तान ने भी कहा कि ये कहा से आ गया, फिर कहा कि भारत का लोकतंत्र विचित्र है। जहाँ विपक्ष का नेता सरकार के पक्ष के लिए आया है।

दुश्मन बनो तो ऐसे बनो की

आपका दुश्मन भी आप पर अपने दोस्त से ज्यादा भरोसा करें।

ये सदन के अंदर विपक्ष का खूब विरोध करते थे। बाहर आकर दोस्ती करते थे, चाहे को भी हो। आप इनकी किताब “मेरी 51 कविताएँ” जानते होगे। इसका लोकार्पण पी. वी. नरसिंह के द्वारा किया। इन्होंने कभी राजनीति को कभी गंदा नहीं किया। अटल जी कहते थे कि

सत्ता का खेल तो चलेगा,

सरकारे आएगी और जाएगी।

पार्टी बनेगी और बिगड़ेगी,

लेकिन ये देश रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।”

पहली बार सत्ता में

1998 में जब कांग्रेस की 270 सीटे थी और BJP की 269 सीटे थी। पार्टी तोड़कर सत्ता हासिल करने का इनके ऊपर आरोप लगा। हलांकि ये पार्टी तोड़कर सत्ता हासिल कर सकते थे। फिर इनसे पूछा जाता था कि क्या आप ये एक वोट किसी तरह से लगें। वे पार्टी नहीं तोड़ना चाहते थे, इन्होंने तब ये कहा कि

ऐसे सत्ता क्या फायदा जिसमें पार्टी तोड़नी पड़ी, मैं ऐसी सत्ता को हाथ लगाना तो दूर चिमटे से भी नहीं पड़ऊंगा।”

फिर इनकी 1998 में इनकी सरकार गिर गई। उस समय कांग्रेस इन पर हंस रहे थे, तो अटल जी ने कहा

आज तुम मुझ पर हंस रहे हो,

कल तुम पर पूरा देश हंसेगा।”

वैसे ये बात 2014 और 2019 में सत्य हो ही गई। 2019 में BJP ने 303 सीटे अकेले हासिल करके बहुमत में सरकार बना दी। कांग्रेस की केवल 52 सीटे आए, 17 राज्य में तो कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई।

1999 में जब ये सत्ता में दुबारा आए। तो पाकिस्तान को दोस्त बनाने के लिए पत्र लिखा। इन्होंने कहा कि तुम हमारे पड़ोसी है, और हम तुम्हारे पड़ोसी, पड़ोसी तो पड़ोसी के काम आता है, और क्यों ना हम दोनों मिलकर मित्र बन जाए। इसके बाद भारत और पाकिस्तान मिलकर लाहौर में समझौता किया। और अटल बिहार वाजपेयी ने दिल्ली से लाहौर तक बस भी गई। लेकिन पाकिस्तान तो पाकिस्तान है।

जो एक बार गलती करें वो नादान,

जो दो बार गलती करें अनजान।

लेकिन जो बार-बार गलती करें वो शैतान,

जो जिन्दगी भर गलती करें वो पाकिस्तान।

अटल जी बस चलते रह गए। समझौता के तीन महीने बाद पाकिस्तान के आर्मी कारगिल में घुस गई। लेकिन पाकिस्तान को पता नहीं था कि भारत में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री है। अटल जी दूसरे प्रधानमंत्री की तरह नहीं थे। जैसे की 26/11 हमले में हम नंदा करते है। ये अटल जी है तो इन्होंने पलट के जबाव दिया कोई नंदा नहीं, कुछ नहीं, पूरा कारगिल जीत के आए। ये कहते थे कि

पहल मैं करुगा नहीं,

और दूज में छोड़ूंगा नहीं,

डरता मैं किसी से नहीं,

क्या हार में और क्या जीत में, चिंतित में विजित में।”

इसी दौरान अटल जी ने परमाणु परीक्षण किया। अमेरिका ने धमकी दे रहा था परमाणु परीक्षण करने के लिए। लेकिन अटल जी किसी से डरते नहीं थे। धारा 370 हटाने का विचार सबसे पहले अटल जी को आया था, लेकिन इनके पास सरकार बहुमत में नहीं थी। हालांकि कांग्रेस के पास सरकार बहुत में थी लेकिन नहीं हटाया। 2019 में जब मोदी सरकार बहुमत में आई तो इन्होंने तुरंत 370 धारा को हटा दिया।

इनके भाषण और इनका जबाव जनता को काफी पसंद था। एक बार की बात है पाकिस्तान की news reporter महिला ने अटल जी से कहा कि – अगर आप मुंह दिखाए कश्मीर दे देंगे तो में आपसे शादी कर लूंगी। फिर अटल जी ने कहा कि – ठीक है पर मुझे दहेज में पूरा का पूरा पाकिस्तान चाहिए। इस बात पर महिला पत्रकार बिलकुल चुप हो गई।

अटल बिहारी वाजपेयी से सीखने योग्य बाते:

अटल बिहारी वाजपेयी कहते है

मन से हार कर मैदान कभी जीते नहीं जाते।”

नेहरू और ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी ने ये पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि अटल बिहारी वाजपेयी आगे चलकर देश का प्रधानमंत्री बनेगा। ये पहले कांग्रेस पार्टी में थे, यहाँ तक की ये विदेश मंत्री भी थे। लेकिन इन्हें समझ में आ गया था कि नेहरु और गाँधी परिवार उम्र भर  राजनीति में रहेगा। इसलिए 1980 में इन्होंने भारतीय जनता पार्टी जिसको BJP का गठन किया। 1984 में इन्हें केवल 2 सीटे मिली, 1996 में इन्होंने 13 दिन की सरकार बनाई, 1988-99 में 13 महीने की सरकार बनाई। 1999-2004 तक पूरे पांच साल की सरकार बनाई।