श्री श्रीमद ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद भगवद् गीता के लेखक और ISKCON के founder (संस्थापकाचार्य) है। इनका जन्म 1 सितम्बर, 1896 को बंगाल में हुआ। जब ये 14 वर्ष के थे तो इनकी माता का देहांत हो गया।
शिक्षा
ये शुरू से पढ़ाई में तेज थे । इन्होंने Scottish Church College से English में degree हासिल की। इनकी English इतनी अच्छी थी कि जब प्रभुपाद English में बालते थे। तो अंग्रेज भी उस समय dictionary खोल कर देखता की ये बोल क्या रहा है।
गुरु का आदेश
1922 में ये अपने गुरु से मिले। इनके गुरु जानते थे कि प्रभुपाद की English बहुत अच्छी है। फिर गुरु ने प्रभुपाद से कहा
क्या तुम मेरे लिए काम कर सकते है। तुम्हारा तो शस्त्रों में मन भी लगता है। तुम भगवद् गीता को पूरी दुनिया में ले के जाओ।”
भगवद् गीता को English में translate करना था। क्योंकि दुनिया की किताब हमारे देश में आ रही है। लेकिन हमारे देश की किताब दुनिया में नहीं जा रही है। इसी को लेकर प्रभुपाद ने दिल से लगा लिया और कहा
गुरु के मुख से निकले हुए वाक्यों को चित के साथ एक कर लो।”
काम आरम्भ
इन्होंने भगवद् गीता को English में translate करना शुरू किया। इसका प्रयाग राज में pharmacy का business भी था। वहां ये दिन में काम करते है। और शाम को भगवद् गीता को translate किया करते थे। एक-दो साल के बाद इन्होंने भगवद् गीता को translate करके बहुत सारे पेज लिख लिए।
घटना
एक दिन जब ये फैक्टरी से घर वापस पहुंचे थे। तो जितने भी पेज इन्होंने लिखे थे, वे वहां पर नहीं होते। तो ये अपनी धर्म पत्नी से पूछते है, कि वो सभी पेज कहाँ है जो मैंने यहाँ रखे थे। इनकी पत्नी ने जबाव दिया तो प्रभुपाद के होश उड़ गए। पत्नी ने कहाँ कि वो तो मैंने कबाड़ी को दे दिए। प्रभुपाद ने कहा क्यों! पत्नी ने कहा कि उसके बदले मैंने चाय को ख़रीदा। प्रभुपाद को बहुत बुरा लगा। अचानक प्रभुपाद ने पूछा कि “Tea or Me” इनकी पत्नी ने कहा Tea। उसी दिन उन्होंने सन्यासी लेने का निर्णय ले लिया।
उन्होंने सन्यासी बनकर घर छोड़ दिया। ये वृन्दावन में चले गए। यहाँ पर इन्होंने भगवद् गीता को दुबारा English में translate किया। एक साल मेहनत करके भगवद् गीता को English में तैयार कर दी।
ये जानते थे
ये जानते थे कि दुनिया का न.1 देश अमेरिका और अमेरिका का न.1 शहर New York है। तो मैं शुरूआत New York से ही करुगा। ये समुद्र जहाज से अमेरिका के लिए निकल पड़े। 32 दिन की जहाज यात्रा में इन्हें 2 बार Heart attack आया। इनके पास कुल पांच dollar थे। अमेरिका में इन्हें को जनता नहीं था, फिर भी ये निकल पड़े। ये जानते थे कि
मैं अकेला हूँ और मैं सब कुछ नहीं कर सकता, इसका मतलब ये थोड़ी की मैं कुछ भी नहीं कर सकता। मैं कुछ-कुछ करूंगा, कुछ-कुछ करके सब कुछ भी कर दूंगा।”
अमेरिका में पहुँचें
ये अमेरिका के अंदर Tompkins Square Park, New York के अंदर पहुंचे थे। उस समय अमेरिका-वियतनाम के बीच युद्ध चल रहा था। इसके कारण वहां पर Hippies आ गए थे। इससे अमेरिका की सरकार बहुत परेशान थी। hippies वो लोग होते है जो शराब पीते, नशा करते है, दो-दो चार-चार दिन तक नहाते नहीं, नंगे लेटे रहते है। ये hippies कहलाते है।
प्रभुपाद में सोचा क्यों ना शुरुआत इन लोगों से की जाए। प्रभुपाद ने ये सबसे कठिन मुदा उठाया। वहां पर उनकी कोई सुनता नहीं था। इनकी वे लोग बेइज्जत करते थे, इनके मुंह पर सिगरेट का धुआँ फेंकते थे, इनका समान चोरी करते थे। फिर भी प्रभुपाद उनके लिए भोजन बनाते थे। और सुबह-शाम भजन कीर्तन करते थे।
एक दिन प्रभुपाद ने एक hippie से पूछा “तुम नशा क्यों करते हो”। Hippie ने जवाब दिया “I want to stay high”. फिर प्रभुपाद ने कहा “You can stay high forever”. Hippie ने कहा “वह कौन-सा नशा है?” प्रभुपाद ने कहा
मैं तुमको हरी नाम लेना सिखाऊँगा, भगवद् गीता पढ़ना सिखाऊँगा, अगर तुम श्री कृष्ण के आदेशों को समझ सके। तो ये नशा सबसे ऊपर का नशा है जिसको ये अधात्मिक जीवन नशा लग गया। तो भौतिक जीवन के सभी नशे छोटे पड़ जाएंगे।”
धीरे-धीरे लोगों ने इनकी बात सुननी शुरू कर दी। ये जानते थे कि अंग्रेज की बात पूरी दुनिया जानती है। इसके बाद लोगों ने सुधार करना शुरू कर दिया। ये सभी hippies लोग happy बन गए। तभी अमेरिका की सरकार ने प्रभुपाद को धन्यवाद किया। क्योंकि hippies लोग ने अमेरिका को दुखी कर रखा था। प्रभुपाद ने सभी लोगों को भगवद् गीता को पढ़ाया और इसके साथ उन्होंने 10,000 छात्र बनाए।
ISKCON की स्थापना
इसके बाद इन्होंने ISKCON(International Society for Krishna Consciousness) की स्थापना की। फिर लोगों ने funding देना शुरू किया। उन्होंने अपने दो-चार छात्रों को हर एक देश में भेजा। उस समय में इनके पास पैसे कमी हुआ करती थी तो उन्होंने अगरबत्ती का business किया और इसके साथ उन्होंने 5 करोड़ किताबें को पूरी दुनिया में बेच था। जो इन सभी का revenue था उस पैसे का ये मन्दिर निर्माण करते थे। जहाँ पर भगवद् गीता को पढ़ाया जाता है। इसके साथ ये 25 भाषा में भगवद् गीता को translate कर चुके थे।
जग नाथ मन्दिर की रथयात्रा
प्रभुपाद में सबसे पहले जग नाथ मन्दिर की रथयात्रा करवाई थी। इसके पीछे ये बहुत बड़ी कहानी है। प्रभुपाद जग नाथ के दर्शन करना चाहते थे लेकिन हिन्दू पंडित ने इन्हें दर्शन करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि हम ईसाई को मन्दिर में नहीं जाने देते। प्रभुपाद ने कहा कि अगर तुम मुझे जग नाथ के दर्शन नहीं करने देंगे, तो मैं जग नाथ को पूरी दुनिया में ले जाउगा। इसके बाद इन्होंने जग नाथ की रथयात्रा शुरू की। प्रभुपाद पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पूरी दुनिया में जग नाथ जी के दर्शन और रथयात्रा की थी।
Social Charity
लेकिन ये यहाँ पर रुके नहीं इसके बाद इन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा vegetarian food relief program चालू की। इसका नाम है Food for Life. इसमें दुनिया भर में 1000 लोगों को free में खाना दिया जाता है। यहाँ तक की अमेरिका के अंदर Steve Jobs ने अपने बारे में खुदी ही बताया था।
I use to walk 7 miles, To get I meal at Hare Krisna Temple” मतलब की मेरे पास पैसा नहीं हुआ करता था खाना खाने का, मैं एक बार का खाना के लिए 7 किलोमीटर पैदल चल कर हरे कृष्णा मन्दिर में free का खाना खाया करता था।
प्रभुपाद में सैकड़ों property बना ली लेकिन अपने बच्चे के नाम एक भी property नहीं करवाई सारी की सारी property society को donated कर दिया। ये कहते थे कि
Principles global-global होगे, और resources local-local होगे, ना पैसा एक देश से दूसरे देश जायेगा, ना ही पैसा दूसरे देश से आयेगा, लेकिन principles global-global होगे”
Unimaginable काम किया
· 70 साल की उम्र में जहाँ पर लोग retar होकर घर बैठते है, वही प्रभुपाद ने 70 साल की उम्र में retry किया।
· पाकिस्तान में चाहे कुछ भी हो रहा है, लेकिन वहां आज भी ISKCON के 12 मन्दिर है।
· 24 घंटे में से प्रभुपाद केवल 2 घंटे सोते थे और 22 घंटे सेवा (काम) करते थे।
· 11-12 साल के अंदर प्रभुपाद ने पूरी दुनिया में 108 मन्दिर बना दिए।
· भगवद् गीता को 25 भाषा में translate किया गया।
· पहली बार पूरी दुनिया में जगनाथ जी के दर्शन और रथयात्रा की थी।
प्रभुपाद ने जितना भी किया सारा भगवद् गीता पढ़कर किया। क्योंकि भगवद् गीता में मनुष्य की हर समस्या का समाधान है। इस लिए आज से ही भगवद् गीता को पढ़ना शुरू कीजिए।
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